New directions

Some fun, some discussion!


What is the first movie you ever watched?
How much did you pay for your ticket?


Do you have any crazy ideas or thoughts about making spoofs of films or making your own, for any cause?


Have you heard of people like http://www.schoolcinema.net/?


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यादों में फिल्‍मों की बातें : राजेश उत्‍साही

तब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था। हम लोग मुरैना जिले की सबलगढ़ तहसील में रहते थे। छुट्टियों में इटारसी आते थे। उन्‍हीं दिनों राजकपूर की फिल्‍म मेरा नाम जोकर रिलीज हुई थी। फिल्‍म इटारसी की जनता टॉकीज में लगी थी। सबलगढ़ में मैं कई बार अकेले ही फिल्‍म देखने गया था। यहां जब मैंने पिताजी से कहा कि मैं फिल्‍म देखने जाना चाहता हूं। तो उन्‍होंने इजाजत तो दे दी,पर कहा अपने दोनों छोटे भाईयों को भी साथ ले जाऊं। एक आठ साल का था और दूसरा छह साल का। मैं उन्‍हें साथ लेकर गया। मेरा नाम जोकर फिल्‍म सामान्‍य फिल्‍मों की तुलना में अधिक लंबी थी। यानी आमतौर पर कुल फिल्‍में तीन घंटे की होती हैं, लेकिन यह थी चार घंटे की। हुआ कुछ यूं कि हम दोपहर का शो देखने पहुंचे। शो चार बजे शुरू होने वाला था और हम दो बजे ही पहुंच गए। छोटे भाई थोड़ी ही देर में उकताने लगे। मैंने तय किया कि उन्‍हें घर भेज दिया जाए और मैं रुकूं। मैं उन दोनों को घर की गली के कोने पर छोड़कर वापस आ गया।

मैंने चार बजे के शो का टिकट लिया और इंतजार करने लगा। शो शुरू हुआ। फिल्‍म बड़ी थी इसलिए एक की बजाय उसमें दो इंटरवल हुए। दूसरा इंटरवल हुआ तो मुझे अपने नाम की पुकार सुनाई दी। मेरे फूफाजी मुझे ढूंढते हुए सिनेमाघर तक चले आए थे। वे परेशान थे कि दोनों छोटे भाई तो घर पहुंच गए हैं, पर मैं अब तक यहां क्‍या कर रहा हूं। जब मैंने उस सारी बात बताई, तब जाकर वे संतुष्‍ट हुए।
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बचपन में मुझे ढिशुम ढिशुम वाली पिक्‍चरें अच्‍छी लगती थीं। हमारे बचपन यानी 1970 के दशक में दारासिंह की फिल्‍में ऐसी ही होती थीं। इसलिए जैसे ही दारासिंह की फिल्‍म कस्‍बे के सिनेमाघर में लगती। अपन देखने पहुंच जाते। घर से भी इसके लिए अनुमति थी। इसी तरह से अन्‍य कोई भी फिल्‍म जिसमें ढिशुम ढिशुम होती अपने को देखने को मिल जाती। उन्‍ही दिनों ‘रेशमा और शेरा’ फिल्‍म आई थी। फिल्‍म के मुख्‍य कलाकार थे सुनीलदत्‍त और वहीदा रहमान। यह वही फिल्‍म है जिसमें अमिताभ बच्‍चन ने गूंगे भाई का रोल किया था। फिल्‍म की कहानी डाकुओं पर आधारित थी। अपन फिल्‍म देखकर आ गए। अगले दिन पिताजी देखने गए। जब पिताजी देखकर लौटे तो उन्‍होंने मुझे डांटा। कहा कि तुम्‍हें यह फिल्‍म देखने नहीं जाना था।
असल में फिल्‍म में एक उत्‍तेजक मुजरा भी था जो शायद लक्ष्‍मीछाया पर फिल्‍माया गया था। वह उनकी दृष्टि में बच्‍चों के देखने के लिए नहीं था।
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फिर एक ऐसा समय भी आया जब हम किशोर हो रहे थे। 1976 के आसपास हिन्‍दी में यौन शिक्षा पर आधारित कुछ फिल्‍में रिलीज हुईं। इनमें एक थी ‘गुप्‍त ज्ञान’ । जब यह शहर में आई तो पिताजी ने खास तौर पर फिल्‍म देखने के लिए कहा। यह भी कहा कि अपने दोस्‍तों को भी लेकर जाओ। याद रखें तब तक टेलीविजन हिन्‍दुस्‍तान के शहरों और कस्‍बों में नहीं पहुंचा था।